Nidhi Saxena

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विनती : तुम बन जाओ ना मेरे💖💖

विषय : कान्हा से विनती 

रूप : कविता 
शीर्षक: विनती , तुम बन जाओ ना मेरे 💖💖💖

पुकार पुकार हार गई ,
तुझे ढूंढ ढूंढ थक गई हूं ।

सबने सताया इतना मुझे ,
कुछ ना अब नज़र आए मुझे ।
एक हमदम था उसने भी अत्याचार किया ।
अब किसको अपना बोलूं मैं ।
मायके में बोल दिया ,
हमने बियाह दिया ,
हमसे ना कुछ बतलाओ तुम ,
 अब वही है बस घर तुम्हारा ,
वहीं अब रहो तुम ।

सुसराल में बोले सब ,
पराए घर से आई हो ,
यहां कुछ नही तुम्हारा अब ।

अब तुम ही बताओ ,
अब कहां जाऊं मै।

बस इतनी सी अर्ज है तुमसे,
 अपने दर पर बुलालो मुझे ,
अब तुम ही हो सहारा मेरा ।
तुम बिन और ना कोई दूजा मेरा ।

तुम संग प्रीत की डोरी बांधी है ,
तुम बांध जाओ ना मेरी प्रीत से ।

है कान्हा बस यही अर्जी तुमसे ,
है कान्हा बस यही अर्जी तुमसे ।
तुम तो अपना लो ना मुझे ,
कान्हा तुम तो अपना लो ना मुझे ।।

        जय श्री राधे कृष्णा 🙏🙏🙏🙏🙏
             यही विनती है ....नीर (निधि सक्सैना) की ✍️



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7 Comments

बहुत खूब

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Supriya Pathak

08-Dec-2022 09:24 PM

Bahut sundar 💐👌

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