विनती : तुम बन जाओ ना मेरे💖💖
विषय : कान्हा से विनती
रूप : कविता
शीर्षक: विनती , तुम बन जाओ ना मेरे 💖💖💖
पुकार पुकार हार गई ,
तुझे ढूंढ ढूंढ थक गई हूं ।
सबने सताया इतना मुझे ,
कुछ ना अब नज़र आए मुझे ।
एक हमदम था उसने भी अत्याचार किया ।
अब किसको अपना बोलूं मैं ।
मायके में बोल दिया ,
हमने बियाह दिया ,
हमसे ना कुछ बतलाओ तुम ,
अब वही है बस घर तुम्हारा ,
वहीं अब रहो तुम ।
सुसराल में बोले सब ,
पराए घर से आई हो ,
यहां कुछ नही तुम्हारा अब ।
अब तुम ही बताओ ,
अब कहां जाऊं मै।
बस इतनी सी अर्ज है तुमसे,
अपने दर पर बुलालो मुझे ,
अब तुम ही हो सहारा मेरा ।
तुम बिन और ना कोई दूजा मेरा ।
तुम संग प्रीत की डोरी बांधी है ,
तुम बांध जाओ ना मेरी प्रीत से ।
है कान्हा बस यही अर्जी तुमसे ,
है कान्हा बस यही अर्जी तुमसे ।
तुम तो अपना लो ना मुझे ,
कान्हा तुम तो अपना लो ना मुझे ।।
जय श्री राधे कृष्णा 🙏🙏🙏🙏🙏
यही विनती है ....नीर (निधि सक्सैना) की ✍️
डॉ. रामबली मिश्र
09-Dec-2022 10:01 AM
बहुत खूब
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
08-Dec-2022 10:48 PM
शानदार
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Supriya Pathak
08-Dec-2022 09:24 PM
Bahut sundar 💐👌
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